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रुपये का गिरना या डूबना क्या होता है।


जिस चीज का मूल्य होता है वह धन है. सिक्के , नोट और बैंकिंग डाक्यूमेंट्स एक मूल्य को दर्शाते है. यह मूल्य हज़ारो साल पहले वस्तु के विनिमय (Exchange) से तय होता था. जैसे :- एक बोरा धान के बदले कपडा,बर्तन या कोई चीज जिससे बेचने वाला संतुस्ट हो। इसमें कई दिक्कते थी,इसलिए विनमय को आसान बनाने के लिए मुद्रा का जन्म हुआ।
मुद्राओ के विनिमय की दर की जहाँ तक बात की जाये तो इसका गणित थोड़ा कठिन है,लेकिन उसके कारको को समझा जा सकता है. जैसे वस्तुओ की कीमत उसकी मांग से तय होती है उसी तरह मुद्रा की कीमत भी उसकी मांग से तय होती है.
जब हम International Market में Business करने जाते है तो तब किसी न किसी मुद्रा के बरक्स हमारी मुद्रा का मूल्य तय होता है. प्रायः हम Dollar के बरक्स अपनी मुद्रा केI कीमत देखते है, क्योंकि डॉलर से पूरे दुनिया का बिज़नस चलता है।
             कुछ देशों के साथ हम रुपये से लेन-देन करते है. Actually जिसे हम रुपये का गिरना कहते है वह Dollar की कीमत का बढ़ना है. जैसे किसी वस्तु का demand बढ़ने से उसका price बढ़ जाता है,उसी प्रकार आज dollar का मांग बढ़ने से dollar की कीमत बढ़ने लगी है,क्योंकि आये दिन उसकी मांग बढ़ते जा रही है
       मुद्रा का यह कीमत का बढ़ना या गिरना का कारण सिर्फ यही नही है,सबसे बड़ा कारण है किसी देश का Economic Develop करना क्योंकि अगर लोगो की आय बढ़ेगी तो जाहिर है वो ज्यदा सामान खरीदेंगे ,लेकिन जब सामान का Production उस हिसाब से न हो तो चीजो का कीमत बढ़ने लगती है. इस स्थिति को मुद्रास्फीति कहते है, इसके कारण मुद्रा की कीमत कम हो जाती है यानी पहले हमलोग 100 रुपये 5 kg अनाज लेते थे वही अब 100 rs में 3 kg गई अनाज मिलते है।
      अर्थब्यस्था की अंदरूनी ताकत भी मुद्रा की ताकत को कम कर देती है। लेकिन हां, मुद्रा की कीमत कम होना हमेशा नुकसानदेह नही होता है।