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बकरी पालन का बिज़नस कैसे करे: Goat फार्मिंग का बिज़नस से साल में लाखो कमाए"

बकरी का बिज़नस आज कल के ज़माने में काफी सक्सेसफुल मानी जाती है,क्योंकी बकरी पालन के लिए ज्यदा मसकत करनी नही पड़ती ,बस सब काम धर्य का होता है,बकरी पालन भारत में कही भी कर सकते है,क्योंकि बकरिया सभी जलवायु के अनुसार अपने को अनुकूल बना लेती है,
                          Goatry फार्मिंग गांव में खूब पैसा दे सकती है।क्योंकि वहां चारा आसानी से मिल जाता है. 

अब हम जानते है की बकरी पालन कैसे करते है और इस बिज़नस से कितना हम साल में काम सकते है,

बकरी पालन के बिज़नस की पूरी जानकारी हिंदी में:-

1. बकरी की प्रमुख नस्ल
2.बकरी पालन की विभिन्न विधिया
3.आवास ब्यवस्था
4.बकरियों का आहार
6.प्रबंधन के तरीके
7.रोग एवं उपचार
8.बकरी के ब्यवसाय में कितना लागत और कितना प्रॉफिट होगा:goatry farming start karne me kitna cost aur profit hoga full project in hindi
9. बकरी पालन के लिए कुछ विशेष सलाह
अब इनमें से बताये गए सभी points ko धयान से पढ़े और फिर बिज़नस को सही direction में करे तो यकीनन आप साल में 20 लाख से भी अधिक इनकम कर सकते है।

    1. बकरी की प्रमुख नस्ल:-

हमारे देश में 21 नस्ल की बकरी पायी जाती है.जिसे दूध,मांस एवं रोयें की उत्पादन के लिए पला जाता है.
बकरी की कुछ नस्ल निम्नलिखित है:-

Some breeds of  goat's

1. जमुनापारी:-
यह बकरी सबसे सुन्दर और बड़े आकर की बकरी है,यह मांस और दूध के लिए बेस्ट होता है.जमुनापारी बकरियों के कान लंबे(25-30 cm) सिंग छोटे और चपटे होते है।इनके पिछले पैर के जांघो पर घने लंबे बाल होते है। बयस्क नर का वजन 70-90 किलो और मादा का 50-60किलो होता है।
2. बीटल:-
यह मुख्यतः पंजाब एवं हरियाणा में पाये जाते जाते है। ये देखने में जमुनापारी की तरह होते है,लेकिन यह आकर में छोटा होता है।वयस्क नर के चेहरे पर दाढ़ी पायी जाती है।इनका रंग लाल या गहरा भूरा होता है। वयस्क नर वजन 65-70किलो होता है।
3. बारबरी:-
यह मुख्यतः यूपी, delhi और पंजाब में पायी जाती है। इनका कद छोटा होता है।ये सफ़ेद रंग की होती है।जिसपर लाल एवं भूरे धबे होते है।वयस्क नर का वजन 36-46 किलो और लम्बाई 100 cm होती है।यह साल में 2 बार बच्चा देती है।
4.बंगाल :-
यह पश्चिम बंगाल,झारखण्ड और उड़ीसा में पायी जाती है।ये काले या भूरे रंग की होती है। ये बकरियां छोटे आकार, स्वादिष्ट मांस अधिक बच्चे पैदा करने और गर्म वातावरण में पालने के लिए मशहर है।और यह आसानी से बिक जाता है।नर का वजन 30 -40 किलो होता है।

   3. बकरी पालन की विधिया:-

बकरी पालन की मुख्य तीन विधिया है।
1. विस्तारण विधि:-
यह विधि उन इलाको के लिए उपयुक्त  है जहाँ की कृषि jayda फायदेमंद नही है।लेकिन उस जगह में बकरियों के चरने के लिए घास,छोटी झाड़िया होना चाहिए। बकरिया अधिकांस समय चारागाह में बिताती है और जिससे उनके लिए अलग से खाना नही देना पड़ता है
2. सघन विधि:-
यह विधि उन जगहों के लिए है जहा चारागाह नही है इसमें बकरिया पूरा दाना पर निर्भर होती है।
3. अर्ध संघन विधि:-
इसमें बकरिया भोजन के लिए आंशिक रूप से चारागाह पर निर्भर रहता है और बाकि समय उन्हें पालक दुवारा दिए गए चारे दाने पर निर्भर रहना पड़ता है।
  4. आवास ब्यवस्था कैसा होना चाहिये:-

किसी भी बकरी पालन का प्रॉफिट उसके रख रखाव पर निर्भर करता है।बकरिया साफ़ सुथरा जगह पर रहना ज्यदा पसंद करता है।

*बकरी घर में प्रकाश एवं हवा के आवगमन और पानी का उचित ब्यवस्था होना चाहिए।
* बकरी के आवास में प्रयप्त जगह होना चाहिए और सबसे जरुरी आवास उच्चा और सुखा ह9न चाहिए।
* बकरिया के घर की लम्बाई पूर्व - पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।
* सुष्क,गाभिन एवं दूध देने वाली बकरी , वस्यक बकरी और बचो को अलग अलग रखना चाहिए।
* फर्श पक्का होना चाहिए।
* आवास ऐसा होना चाहिए की वहा temperature 15-25 डिग्री सेल्सियस के बिच होना चाहिए।एक वयस्क बकरी के लिए 1 से 1/2 वर्ग मीटर होना चाहिए।
* दो बकरो को कभी एक साथ नही रखे।
* एक बकरा के लिए 2.5 लंबा और 2 मीटर चोडी होना है।
* आवास की लम्बाई आपकी इच्छा अनुसार हो सकती है लेकिन चोड़ाई 12 मीटर से जयादा नही होना चाहिए।
5. बकरियों का आहार :-
बकरियों को खाना सबसे अलग होता है क्योंकि ये खाते समय घूमना पसंद करते है।बकरियों को स्वक्छ जगह बहुत aacha लगता हा।इसलिए ये हमेसा फ्रेश खाना  ज्यदा पसन्द करते है।ये गिला,बांशी नही खाती है।
                   किसानो के लिए बकरियों को बांध कर खाना देना फायदेमंद नही होता है।इसलिये रोजना बकरियों को 6-8 घंटे चरना है।
बकरियों का भोजन:-
1. मकई,ज्वर,बाजरा ,जौ और जई क्योंकि बकक्रियो के ऊर्जा के लिए यह जरुरी होता है।
2. मूंगफली की खली,सरसो खली,तीसी खली,तिल खली जयदा प्रोटीन के लिए और चना,अरहर,मुंग और उड़द कम प्रोटीन के लिए देना है।


       5. प्रबंधन के तरीके:-

1. पगहा से बंधना:-
जब चरने के सुविधा कम हो और बकरी ज्यदा न हो तो यह तरीका अपना सकते है।
2. बधियाकरण:-
प्रजनन के उद्धेश्य से रखे गए नर मेमने के अलावे अन्य सभी नर मेमनों को अधिक वृद्धि एवं उत्तम मांस लेने के लिए बाध्य कर देना चाहिए। बढ़या सर्द मौसम में करना है।
3. खुर खुटरना :-
बकरियों के लिए खुर खुटरना उनके स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है।इससे उनके पेरो की सड़न और अन्य बीमारी नही आती है।
4. बकरी की छटाई:-
1. कम दूध देने वाली बकरी
2. कम  Growth वाली बकरी
3. संक्रामक रोग से पीड़ित बकरी
4. असाध्य रोगों से पीड़ित बकरी
ऐसा करने से बकरी की समूह को सुधार जा सकता है।

                       6. रोग एवं उपचार:-
बक्रिरियों  मे कोन से रोग पायेे जाते  हैै  और  क्या इलाज है
1. बकरी प्लेग :(ppr)   कारण:- विषाणु
  रोग की अवधि:- 5-8 दिन
  रोग का प्रसार:- संक्रमित बकरी के संपर्क में आने से।
लक्छण :-
1. खाना पीना कम
3.सुस्त होना
3. बुखार कम होने पर भी पतला दस्त होना।और स्वास् लेने में दिकत।
4. गभीन में गर्भपात होना।
5. धुप में अधिक रहना।
बचाओ वा उपाय:-
1. PPR  का टीका लगाना।
2. सफाई पर धायण देना ।
3. बाजार से खरीदकर लाये गए बकरी को पहले के बजरियो को 21 दिन के बाद ही सामिल करे।
4. इसके लिए यूनिमाईसिन की सुई 1 मिली लीटर पार्टी 28 किलो वजन के हिसाब से 3 से 5 दिनों तक देना है।और साथ में मेलोनेक्स देना है।

2. ककड़िया रोग:-
कारण:-जीवाणु,अधिक पप्रोटिन देने से जैसे*(चना,तेलहन,खली,उरिद)
लक्छण :-
1. जोर से चिलाना
2. झटका देना,पैर से लात मारना।
उपचार:-
इंट्रो toxaemia टिका देना।

3. चेचक :-
कारण :विषानु
लक्छण:-
1. हल्का बुखार होना।
2. खाना कम खाना।
3. जहा बाल नही है वहा फुंसी होना।ये पहले थन फिर अगल बगल होती है।
4. मादा में गर्भपात होना।
उपचार:-
1 संक्रमित बकरी को अलग कर दे।
2 रोग ग्रसित बकरी को पोटेशियम परमैग्नेट के घोल ( 1 li पानी में 1 ग्राम पोटेशियम ) से धोना चाहिए।
3. फुंशियों पर बोरिक या ज़िंक oxcide का मलहम लगाये।
4. लोरेक्सिन क्रीम, टेरामाईसिन क्रीम या हीमक्स क्रीम लगा दे।

4. निुमोनिया रोग:
कारण :- ठण्ड एवं सर्द में हवा का लगना,धूल एवं कस्टदायक गैस,बंद वा तंग जगह में रहना और जीवाणु गलत तरीके से दावा देना ।
लच्छन :-
सरीर में कपकपी,थरथराहट,तेज़ बुखार,तेज़ स्वास्,सीने में दर्द,कफ,दूसरे टाइप का आवाज आना,नाक बहना।
उपचार:
1. रोगी बकरी को ठंडी जगह से हटा कर गर्म जगह में रखे।
2. यूकेलिप्टस् आयल को गर्म करके पानी में मिलकर उससे निकले भांप को लेने दे।
3. सरसो पीसकर सीने में लेप लगाये।
4. टेरामाईसिन,एम्पीसिलिन,पेनिसिलिन आदि एंटीबायोटिक दावा में एक दावा दे।

5 खुर दलन:-
बरसात में खुर घाव होना।
खुर बढ़ जाना।
बचाव:-
* बरसात से पहले खुर काट देना।
* घाव ठीक होने के बाद तारपीन दवा दाल दे।
* खून बंद करने एंटीबायोटिक सवलोन, बेटाडिन दवा लगा दे।

8. बकरी पालन के लिए विशेष सलाह:-

* बकरी खरीदते समय उसकी उम्र 12-15 माह से अधिक न हो।
* बकरी फर्म खोलते समय नस्ल का चयन फर्म के उद्स्य एवं पर्यावरण की अनुरुप करना है।
* प्रति बकरी के लिए आवास में 10-12 वर्ग फिट जगह रखे।
* एक घर में एक साथ 20 से अधिक बकरी न हो।
* बकरे को हमेसा बकरी के समूह से अलग रखे।
* बकरी का प्रथम प्रजनन 1 वर्ष क पहले न करे।
* बच्चा देने के कम से कम 30 दिनों के बाद बकरे को बदल देना चाहिए।
* गभइन बकरी को चराने मत दीजिये।
* प्रसव साफ जगह पर हो।
* नर बच्चा को बाध्य 2-3महीना में करा दे।
* बीमार बकरी को हमेसा अलग रखना चाहिए।

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